असमंजस की स्थिति है। पंचांगों में तिथियों के अंतर से : इस साल फिर दो दिन अमावस्या के फेर में दिवाली
भवानीमंडी. इस वर्ष भी दीपावली का महापर्व मनाने को लेकर गत वर्ष की तरह असमंजस की स्थिति है। पंचांगों में तिथियों के अंतर से कहीं 20 तो कहीं 21 अक्टूबर को दीपोत्सव पर्व बताया गया है।
भवानीमंडी के पंडि़त प्रफुल्ल जोशी का कहना है कि शास्त्रसम्मत दीपावली 20 अक्टूबर को ही होगी। अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3.45 बजे से 21 अक्टूबर दोपहर 3.35 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल 20 अक्टूबर की रात को ही रहेगा। 21 को प्रदोष न होने से दीपावली उस दिन मान्य नहीं होगी।
2024 में दीपावली 31 अक्टूबर या एक नवंबर को मनाने को लेकर उलझन बनी थी। लंबे विचार-विमर्श के बाद ज्यादातर स्थानों पर 31 अक्टूबर को मनाई गई थी।
आखिर अंतर क्यों: भारतीय ज्योतिष परंपरा में गणना के कई आधार हैं। सौर वर्ष, चंद्र वर्ष, सावन वर्ष और बृहस्पति वर्ष। विवाह, गृहप्रवेश जैसे मुहूर्तों में सौर वर्ष मान्य होता है।
व्रत-त्योहारों की गणना चंद्र वर्ष से की जाती है। दीपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाई जाती है। देश की भौगोलिक स्थिति और गणना की पद्धति (नवीन व प्राचीन) में अंतर के कारण तिथि को लेकर भिन्नता दिखती है
। उज्जैन की कालगणना क्या कहती है-
20 अक्टूबर को अमावस्या: दोपहर 3.27 बजे तक। यह प्रदोष काल व मध्य रात्रि व्यापिनी होगी।
21 अक्टूबर को अमावस्या: शाम 4.35 बजे तक। प्रदोष काल और मध्य रात्रि व्यापिनी नहीं होगी।
शास्त्रों में कहा गया है-
अर्धरात्रे भ्रमत्येव लक्ष्मीराश्रयितुं गृहान् अर्थात् दीपावली की मध्यरात्रि में मां लक्ष्मी भ्रमण करती हैं। इस कारण से दीपावली का पूजन 20 अक्टूबर की रात को ही श्रेष्ठ माना गया है।
अमावस्या के प्रकार-
1. सिनीवाली अमावस्या- प्रात: से रात्रि तक।
2. दर्श अमावस्या- चतुर्दशी संयुक्त और रात्रि पर्यंत।
3. कुहू अमावस्या- प्रतिपदा से युक्त। धर्मग्रंथों में दीपावली की अमावस्या के लिए दर्श अमावस्या का उल्लेख है।
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